खुद पर भरोसा करने का हुनर सीख लो. सहारे कितने भी
भरोसेमंद हो, एक दिन साथ छोड़ ही जाते है!!
खुद पर काबु रखना एक परिपक्व इंसान की निशानी है;
वक्त से पहले खुद पर काबु खो देना अपरिपक्वता की पहचान है।
बोलना सीखिए वरना ज़िन्दगी भर सुनना पड़ेगा…
कभी-कभी हम धागे ही इतने कमज़ोर चुन लेते हैं कि पूरी उम्र ही गाँठ बांधने में गुज़र जाती है।
कागजों को एक साथ जोड़े रखने वाली पिन ही कागजों को चुभती है,
उसी प्रकार परिवार को भी वहीं व्यक्ति चुभता है जो परिवार को जोड़ के रखता है…
उड़ने में बुराई नहीं है, आप भी उड़ें..लेकिन उतना ही जहाँ से जमीन साफ़ दिखाई देती हो।
इंसान तारों को तब देखता है, जब जमीं पर कुछ खो देता है…